इलाहबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत दुष्कर्म के आरोपी को दी ज़मानत

इलाहबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत दुष्कर्म के आरोपी को दी ज़मानत

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  • November 27, 2022
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इलाहाबद हाईकोर्ट ने हाल ही में अनुसूचित जाति की एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोपी को ज़मानत देने का आदेश दिया है।

यह आदेश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने प्रयागराज के अजीत कुमार की ज़मानत अर्ज़ी की सुनवाई करते हुए दिया है।

क्या है मामला?
इस मामले में 31 मार्च 2022 को लल्लू राम ने एफ आई आर दर्ज कराई थी। जिसमे अजीत कुमार को नामजद किया गया था।

उसका आरोप था कि 29 , मार्च की रात 11 बजे के आस पास आरोपी अजीत कुमार उसकी 17 साल की लड़की को बहला फुसला कर भगा ले गया था। सुबह जब वह उठा तो उसकी लड़की लापता थी। लड़की 23 अप्रैल 2022 को मिली थी।

आरोपी के खिलाफ प्रयागराज के सोरावं थाना में अपराध संख्या 154/2022 के तहत आई पी सी की धाराओं 363, 366, 323, 504, 506 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4 और एससी/ एसटी अधिनियम की धारा 3 (2) (V) में मामला दर्ज किया गया था।

आवेदक/आरोपी 24 अप्रैल 2022 से जेल में है।

आवेदक/आरोपी पक्ष का तर्क –
आवेदक के अधिवक्ता का तर्क था कि आरोपी को इस मामले में झूठा फसाया गया है।

सी आर पी सी की 161 के तहत दर्ज बयान में लड़की ने अपनी मर्ज़ी से आरोपी के साथ जाने को स्वीकार किया था।

लड़की का कहना था कि वह अपनी मर्ज़ी से आरोपी से मिली थी और उसके साथ प्रतापगढ़, वाराणसी और फिर फूलपुर गई थी जहाँ उसने नौलक्खा मंदिर में आरोपी के साथ विवाह किया था।

अपने बयान में लड़की ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह अपने परिवार के साथ नहीं रहना चाहती है। लेकिन तीन दिन के बाद उसने जब 26 अप्रैल 2022 को सी आर पी सी की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया तो वह अपने पिछले बयान से मुकर गई थी।

आवेदक पक्ष का तर्क था कि स्पष्ट है कि लड़की बिना किसी आपत्ति के आरोपी के साथ लगभग एक महीने तक रही।

सी आर पी सी 164 के तहत दर्ज बयान में लड़की ने आरोपी पर अपहरण और दुष्कर्म का आरोप लगाया था।

चिकित्सा जांच में गर्दन, कंधे, स्तन और होंठ पर मामूली खरोच पाई गई थी। निजी अंग पर कोई क्षति नहीं मिली थी।

कोर्ट ने माना कि पीड़िता द्वारा सी आर पी सी की धाराओं 161 और 164 के तहत दर्ज बयान में कोई समानता नहीं है।

कोर्ट ने माना कि अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता (ए जी ए) ने आवेदक/आरोपी के ज़मानत का विरोध तो किया लेकिन वह यह समझाने में असमर्थ हैं कि लड़की आवेदक/ आरोपी के साथ लगभग एक महीने तक बिना किसी प्रतिरोध और आपत्ति के साथ रही थी।

कोर्ट ने मामले की योग्यता पर कोई टिप्पणी किये बिना कहा कि ऐसा लगता है कि लड़की आवेदक/आरोपी के साथ सहमति वाले संबंध में थी।

कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए आवेदक की ज़मानत अर्ज़ी को स्वीकार करते हुए उसे सशर्त ज़मानत देने का आदेश दिया।

केस टाइटल – अजीत कुमार बनाम स्टेट ऑफ़ यु पी व 3 अन्य (Criminal Misc. Bail Application No. – 30024 of 2022)

पूरा आदेश यहाँ पढ़ें –

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